असंख्य शहीद स्वर्ग में बैठे, भारत माँ को रहे निहार
जननी तुमको हुआ है क्या? लगती हो गमगीन बीमार !!
आजादी की खातिर तेरी,
हमने त्यागा था परिवार,
अपनी सबइच्छाएं छोड़ी,
और झेले दुश्मन के वार,
फिर ऐसी मायूस क्यों है?
हमें बताओ एक बार
असंख्य शहीद स्वर्ग में बैठे,
भारत माँ को रहे निहार !!
अब भी अगर है साजिश
हम लौट धरा पर आयेंगे,
तेरे मान-सम्मान की खातिर
अपना स्वर्ग लुटाएंगे|
असंख्य शहीद स्वर्ग में बैठे, भारत माँ को रहे निहार
जननी तुमको हुआ है क्या? लगती हो गमगीन बीमार !!
अगर होता दुःख एक मुझे
पुत्र तुम्हें मैं कह देती:
दस-पांच ग़मों को तो मैं भी
हँसते हँसते सह लेती
है असंख्य दुःख मेरे
कैसे इन्हें गिनाऊं मैं
दर्द है इतना भारी-भरकम
कैसे इसे उठाऊं मैं !!
तुमने सुख- सुविधा छोड़ी थी
भारत माँ होगी आजाद
कोई ना भूखा सोयेगा फिर
पूरी होंगी सब फरियाद
अपनी संस्कृति फले फूलेगी
होगी परम्परा पुन: आबाद
सबको शिक्षा सबको रोजी
नहीं होगा कोई मोहताज
उल्टा-पुल्टा सब कुछ हो गया
आप-धापी मच गई आज
अपराधी बन गए है नेता
भ्रष्टाचार अब हुआ जवां
सीमा पर सैनिक है चिन्तित
खलिहानों में दुखी किसान
पढ़े-लिखे रोजगार मांगते
अधिकारी हो गए लाचार
अपनी सुख सुविधा की खातिर
बिक गए है खुले बाजार
कहाँ शुरू करे कोई
नहींसूझता कोई विचार
मर्यादा पुरुषोतम देख रहे
ऐ मेरे प्यारे इंसान
सभी अच्छी बातें हो कहते
कर्म -स्थली बनी श्मशान
हे पुत्रो तुम वहीं रहना
अब लड़ाई नहीं आसान
बापू जीते थे अहिंसा से
अब मचेगा युद्ध घमासान
कह दो गीता के कृष्ण को
धर्म हुआ है फिर मजबूर
और कोई उपचार नहीं है
उनका आना अति जरुर !!
जननी तुमको हुआ है क्या? लगती हो गमगीन बीमार !!
आजादी की खातिर तेरी,
हमने त्यागा था परिवार,
अपनी सबइच्छाएं छोड़ी,
और झेले दुश्मन के वार,
फिर ऐसी मायूस क्यों है?
हमें बताओ एक बार
असंख्य शहीद स्वर्ग में बैठे,
भारत माँ को रहे निहार !!
अब भी अगर है साजिश
हम लौट धरा पर आयेंगे,
तेरे मान-सम्मान की खातिर
अपना स्वर्ग लुटाएंगे|
असंख्य शहीद स्वर्ग में बैठे, भारत माँ को रहे निहार
जननी तुमको हुआ है क्या? लगती हो गमगीन बीमार !!
अगर होता दुःख एक मुझे
पुत्र तुम्हें मैं कह देती:
दस-पांच ग़मों को तो मैं भी
हँसते हँसते सह लेती
है असंख्य दुःख मेरे
कैसे इन्हें गिनाऊं मैं
दर्द है इतना भारी-भरकम
कैसे इसे उठाऊं मैं !!
तुमने सुख- सुविधा छोड़ी थी
भारत माँ होगी आजाद
कोई ना भूखा सोयेगा फिर
पूरी होंगी सब फरियाद
अपनी संस्कृति फले फूलेगी
होगी परम्परा पुन: आबाद
सबको शिक्षा सबको रोजी
नहीं होगा कोई मोहताज
उल्टा-पुल्टा सब कुछ हो गया
आप-धापी मच गई आज
अपराधी बन गए है नेता
भ्रष्टाचार अब हुआ जवां
सीमा पर सैनिक है चिन्तित
खलिहानों में दुखी किसान
पढ़े-लिखे रोजगार मांगते
अधिकारी हो गए लाचार
अपनी सुख सुविधा की खातिर
बिक गए है खुले बाजार
कहाँ शुरू करे कोई
नहींसूझता कोई विचार
मर्यादा पुरुषोतम देख रहे
ऐ मेरे प्यारे इंसान
सभी अच्छी बातें हो कहते
कर्म -स्थली बनी श्मशान
हे पुत्रो तुम वहीं रहना
अब लड़ाई नहीं आसान
बापू जीते थे अहिंसा से
अब मचेगा युद्ध घमासान
कह दो गीता के कृष्ण को
धर्म हुआ है फिर मजबूर
और कोई उपचार नहीं है
उनका आना अति जरुर !!
+ comments + 4 comments
वाह अति सुन्दर
Sir
It is a soul stirring description of the heart of our motherland, India. She Infact gave birth to innumerable Saints and Soldiers, Kings and leonine men full of courage, truth and sacrifice. In fact she misses them today. She expressed her bereavement through Your words. It is for us now, to become great and only then she will be consoled. And She is not convinced by mere promises but real action. Thanks for the divine inspiration, through this poem, which is your first poem.
Regards
Prashant Rana
Rightly said prashant ji. If we all take a step ahead to save our motherland then we will be doing it for our coming generation. .
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